*स्वास्तिक की महिमा -*

 *स्वास्तिक - अर्थ - महत्त्व -  रहस्य -  लाभ उठाने के तरीके? -*


स्वस्तिक अत्यन्त प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति में मंगल-प्रतीक माना जाता रहा है। इसीलिए किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले स्वस्तिक चिह्व अंकित करके उसका पूजन किया जाता है। आज हम इसका अर्थ, महत्व और उपयोग के बारे में कुछ दुर्लभ जानकारियां देंगे.

अर्थ :
स्वस्तिक शब्द सु+अस+क से बना है। 'सु' का अर्थ अच्छा, 'अस' का अर्थ 'सत्ता' या 'अस्तित्व' और 'क' का अर्थ 'कर्त्ता' या करने वाले से है। इस प्रकार 'स्वस्तिक' शब्द का अर्थ हुआ 'अच्छा' या 'मंगल' करने वाला। 'अमरकोश' में भी 'स्वस्तिक' का अर्थ आशीर्वाद, मंगल या पुण्यकार्य करना लिखा है।
अमरकोश के शब्द हैं - 'स्वस्तिक, सर्वतोऋद्ध' अर्थात् 'सभी दिशाओं में सबका कल्याण हो।' इस प्रकार 'स्वस्तिक' शब्द में किसी व्यक्ति या जाति विशेष का नहीं, अपितु सम्पूर्ण विश्व के कल्याण या 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की भावना निहित है। 'स्वस्तिक' शब्द की निरुक्ति है - 'स्वस्तिक क्षेम कायति, इति स्वस्तिकः' अर्थात् 'कुशलक्षेम या कल्याण का प्रतीक ही स्वस्तिक है।

भारतीय संस्कृति में महत्व :
स्वस्तिक का भारतीय संस्कृति में बड़ा महत्व है। विघ्नहर्ता गणेश की उपासना धन, वैभव और ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी के साथ भी शुभ लाभ, स्वस्तिक तथा बहीखाते की पूजा की परम्परा है.

अन्य धर्मों और संस्कृतियों में महत्त्व :
स्वस्तिक का महत्व सभी धर्मों में बताया गया है। इसे विभिन्न देशों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। चार हजार साल पहले सिंधु घाटी की सभ्यताओं में भी स्वस्तिक के निशान मिलते हैं। बौद्ध धर्म में स्वस्तिक का आकार गौतम बुद्ध के हृदय स्थल पर दिखाया गया है। मध्य एशिया देशों में स्वस्तिक का निशान मांगलिक एवं सौभाग्य सूचक माना जाता है। नेपाल में हेरंब के नाम से पूजित होते हैं। बर्मा में महा पियेन्ने के नाम से पूजित हैं। मिस्र में सभी देवताओं के पहले कुमकुम से क्रॉस की आकृति बनाई जाती है। वह एक्टोन के नाम से पूजित है। मेसोपोटेमिया में अस्त्र-शस्त्र पर विजय प्राप्त करने हेतु स्वस्तिक चिह्न का प्रयोग किया जाता है।

स्वस्तिक का जैन धर्म में बहुत महत्व :
स्वस्तिक की चार भुजाओं में जिनधर्म के मूल सिद्धांतों का बोध होता है। समवसरण में भगवान का दर्शन चतुर्थ दिशाओं से समान रूप से होता है। चार घातिया कर्म ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय, मोहनीय, अंतराय। चार अनंत चतुष्टय अनंतदर्शन, अनंतज्ञान, अनंतसुख, अनंत वीर्य। स्वस्तिक की रेखाओं को कुछ विद्वान अग्नि उत्पन्न करने वाली अश्वत्थ तथा पीपल की दो लकड़ियाँ मानते हैं। जैन समुदाय एवं सनातन समुदाय में स्वस्तिक को मांगलिक स्वरूप माना गया है।

हिटलर द्वारा इसकी शक्तियों की पहचान :
हिटलर ने भी इस स्वस्तिक चिह्न को ग्रहण किया था। जर्मन के राष्ट्रीय ध्वज में स्वस्तिक विराजमान है। क्रिश्चियन समुदाय क्रॉस का प्रयोग करते हैं। वह स्वस्तिक का ही रूप है। हिटलर इसके अंदर छुपी हुई शक्तियों के बारे में जनता था, और स्वस्तिक के रहस्यों से मंत्रमुग्ध था.

वास्तु शास्त्र में महत्व - स्वस्तिक की चार भुजाओं का रहस्य :
वास्तु शास्त्र में चार दिशाएँ होती हैं। स्वस्तिक चारों दिशाओं का बोध कराता है। पूर्व, दक्षिण, पश्चिम, उत्तर। चारों दिशाओं के देव पूर्व के इंद्र, दक्षिण के यम, पश्चिम के वरुण, उत्तर के कुबेर। स्वस्तिक की भुजाएँ चारों उप दिशाओं का बोध कराती हैं। ईशान, अग्नि, नेऋत्य, वायव्य। स्वस्तिक के आकार में आठों दिशाएँ गर्भित हैं। वैदिक हिन्दू धर्म के अनुकूल स्वस्तिक को गणपति का स्वरूप माना है। स्वस्तिक की चारों दिशाएँ से चार युग, सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलयुग की जानकारी मिलती है। चार वर्ण ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र। चार आश्रम ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास। चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। चार वेद इत्यादि अनंत जानकारी का बोधक है।

स्वस्तिक की शक्तियों से लाभ उठाने के विभिन्न तरीके :
स्वस्तिक के बारे में इतनी जानकारी देने का मुख्य उद्देश्य स्वस्तिक के आकार में अनगिनत जानकारियाँ अनेक शक्तियों से गर्भित हैं। शरीर की बाहरी शुद्धि करके शुद्ध वस्त्रों को धारण करके ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हुए (जिस दिन स्वस्तिक बनाएँ) पवित्र भावनाओं से नौ अंगुल का स्वस्तिक 90 डिग्री के एंगल में सभी भुजाओं को बराबर रखते हुए बनाएँ। केसर से, कुमकुम से, सिन्दूर और तेल के मिश्रण से अनामिका अंगुली से ब्रह्म मुहूर्त में विधिवत बनाने पर उस घर के वातावरण में कुछ समय के लिए अच्छा परिवर्तन महसूस किया जा सकता है। स्वस्तिक के अंदर बोविस यंत्र के द्वारा ऊर्जाओं की जो जाँच की गई, लगभग 1 लाख सकारात्मक ऊर्जाओं का अस्तित्व रहता है। भवन या फ्लैट के मुख्य द्वार पर एवं हर कमरे के द्वार पर स्वस्तिक अंकित करने से सकारात्मक ऊर्जाओं का आगमन होता है।

        

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