कब है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, ये है व्रत की सही तारीख और शुभ मुहूर्त: हर साल की तरह इस बार भी यह कन्फ्यूजन हो गया है कि जन्माष्टमी 2 सितंबर को है या तीन सितंबर को।
आइए जानते हैं - यह व्रत किस दिन है और ज्यादातर लोग इसे कब मनाएंगे।जन्माष्टमी): श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हर साल रक्षा बंधन के बाद मनाई जाती है। हर साल की तरह इस बार भी यह कन्फ्यूजन हो गया है कि जन्माष्टमी 2 सितंबर को है या तीन सितंबर को। दरअसल एक बात यहां समझने की है कि हिंदू धर्म में दो तरह की तिथि को लोग मानते है कुछ लोग उदया तिथी को मानते है और उसके अनुसार व्रत करते हैं। दूसरी तरफ कुछ लोग उदया तिथि को नहीं मानते हैं। भगवान कृ्ष्ण के पावन धाम वृंदावन में भी जन्माष्टमी इस बार धूमधाम से मनाए जाने की तैयारियों जोर-शोर से चल रही है।

कब मनाई जाती है जन्माष्टमी?

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनार्इ जाती है। इस बार यह पर्व 2 सितंबर को पड़ रहा है। लेकिन इस बार भी कई लोग इसे 2 सितंबर और 3 सितंबर को अलग-अलग मनाएंगे। व्रत वाले दिन, स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद, पूरे दिन उपवास रखकर रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि पर व्रत का पारण किया जाता है। व्रत का पारण रोहिणी नक्षत्र में श्री कृष्ण भगवान के जन्म के बाद किया जाता है। यकीनन हिंदू धर्म में किसी व्रत और जन्मोत्सव को मनाई जानेवाली यह सबसे अनोखी परंपरा है जब भगवान कृ्ष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।वैष्णव और स्मार्त?

दरअसल जो लोग ग्राहस्थ धर्म में रहते हैं और जो साधु संन्यासी होते हैं तो दोनों के व्रत अलग-अलग हो जाते हैं। स्मार्त यानी ग्राहस्थ धर्म में रहनेवाले लोग जो ग्रहस्थी के धर्म का पालन करते हैं। वैष्णव यानी वैष्णव सम्प्रदाय को माननेवाले लोग। ज्योतिषी और पंडितों के मुताबिक इस बार जन्माष्टमी का व्रत इस बार भी दो दिनों का है।दो दिनों का यह व्रत स्मार्त और वैष्णवों के लिए बांटा गया है। इस बार 2 सितंबर का दिन जन्माष्टमी स्मार्त लोगों के लिए होगा यानी इस दिन ग्राहस्थ लोग रविवार को जन्माष्टमी का व्रत रख सकते हैं और रात 12 बजे जन्मोत्सव मनाएंगे। साथ ही सोमवार यानी 3 सितंबर को जन्माष्टमी वैष्णव लोग मनाएंगे। दरअसल वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव की धूम दो दिन पहले से ही रहती है।क्या है जन्माष्टमी का मुहूर्त?

इस वर्ष जन्माष्टमी का विशेष उदयात पुण्य काल पर्व 3 सितम्बर सोमवार को पड़ रहा है।  भारतीय समयानुसार रविवार रात्रि को 08 बजकर 49 मिनट से लेकर अगले दिन सोमवार शाम 07 बजकर 23 मिनट तक अष्टमी तिथि रहेगी। रविवार को ही रोहिणी नक्षत्र रात्रि 08 बजकर 49 मिनट से लेकर सोमवार को रात्रि 08 बजकर 5 मिनट रहेगा। शास्त्र के अनुसार जो तिथि  व नक्षत्र सूर्य के समय रहता है वो तिथि सर्व दिन मान्य होती है। अतः हम सभी को 3 सितंबर को वैश्नव जन सहित जन्माष्टमी  मनानी चाहिए ।

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