वैभव लक्ष्मी व्रत विधि*

वैभव लक्ष्मी व्रत विधि, ऐसे करें वैभव लक्ष्मी का व्रत

सुख- समृद्धि, धन, ऐश्वर्य, वैभव, व् अन्य इच्छाओ की पूर्ति के लिए वैभव लक्ष्मी का व्रत किया जाता है। इस व्रत की शुरुआत आप किसी भी शक्रवार को कर सकते है, और व्रत की शुरुआत में आपको ग्यारह या इक्कीस व् अपनी इच्छानुसार व्रत की मन्नत करनी चाहिए और संकल्प लेना चाहिए। इस व्रत को रखने पर यदि आप बीच में किसी कारण व्रत नहीं रख पाएं हैं तो उसे शुक्रवार व्रत की गिनती में न लेते हुए आपको अगले शुक्रवार को व्रत करना चाहिए। और इस व्रत को रखने पर आपको अपने घर में ही पूजा करनी चाहिए, यदि आपको कहीं बाहर जाना पड़ता है तो व्रत नहीं करना चाहिए।

इस व्रत को कोई भी स्त्री, पुरुष, कुँवारी लड़की कोई भी कर सकता है। वैभव लक्ष्मी के व्रत को वरदलक्ष्मी का व्रत भी कहा जाता है। ऐसा भी कहा जाता है की वैभव लक्ष्मी की कथा को सुनने से भी आपको बहुत फल मिलता है। माँ लक्ष्मी के अनेक रूपों में वैभव लक्ष्मी भी आपकी सभी परेशानियों का समाधान करने में आपकी मदद करती है। तो आइये अब जानते हैं की वैभव लक्ष्मी का व्रत रखने के क्या नियम होते है, और इस व्रत को आप किस प्रकार कर सकते है। जिससे आपकी मनोइच्छा को पूरा करने में मदद मिल सकें।

वैभव लक्ष्मी का व्रत करने के नियम:-

इस व्रत की शुरुआत शुक्रवार को करनी चाहिए।
व्रत रखने से पहले आपको संकल्प लेना चाहिए की आपने कितने व्रत रखने है, और उसके बाद पूजा पाठ बहुत ही श्रद्धा भाव से करना चाहिए।
कहीं भी बाहर जाकर इस व्रत को नहीं किया जा सकता, अपने घर में रहकर ही आपको इस व्रत को करना चाहिए।
व्रत का आसन लगाने पर माँ लक्ष्मी की प्रतिमा के साथ श्री यंत्र को जरूर स्थापित करना चाहिए।
यदि किसी महिला को मासिक धर्म हो गया हो तो उसे शुक्रवार को व्रत न करके अगले शुक्रवार को व्रत करना चाहिए।
पूरा दिन आपको उपवास करना चाहिए और शाम को पूजा के बाद एक समय फलाहार या भोजन ग्रहण करना चाहिए।

वैभव लक्ष्मी का व्रत रखने के लिए जरुरी सामान:-
माँ लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र।
श्री यंत्र (कागज पर बने चित्र को भी रख सकते है) लेकिन इसका होना वैभव लक्ष्मी के व्रत में बहुत जरुरी होता है।
साफ़ सुथरा आसन, लाल रंग का कपडा।
सोना या चांदी का सिक्का यदि नहीं है तो पैसे भी रख सकते है।
लाल रंग के फूल।
साफ़ चौंकी।
धूप, दीप, कलश, कटोरी, मोली, रोली, आदि।
वैभव लक्ष्मी व्रत रखने की विधि:-
जिस शुक्रवार अपने यह व्रत रखना हो उस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
उसके बाद शाम के समय इस व्रत की पूजा या कथा का प्रारम्भ करें, और पूजा के लिए आवश्यक चीजों को अपने पास रख लें।
पूजा करने के लिए अपना मुँह पूर्व दिशा की और करके बैठें।
उसके बाद चौंकी लें, और उस पर लाल कपडा बिछाकर आसन तैयार करें।
उसके बाद आप उस आसन पर वैभव लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र रखें और साथ ही श्री यंत्र भी रखें। वैभव लक्ष्मी के व्रत में श्री यंत्र भी बहुत अधिक मान्यता है।
फिर चौंकी पर तस्वीर के सामने चावल के ढेरी बनाएं।
और उस पर ताम्बे के लोटे में जल भरकर रखें।
उसके बाद कलश पर आप एक कटोरी रखें जिसमे आप सोने या चांदी का कोई सिक्का या आभूषण डालें। और यदि आपके पास ऐसा कुछ नहीं है तो चिंता की कोई बात नहीं है, आप पैसे रखें और उस पर रोली लगाएं और फूल अर्पित करें।
उसके बाद वैभव लक्ष्मी की कथा करें, आरती करें, जाप करें, और माँ वैभव लक्ष्मी से आपकी मन्नत को पूरा करने के लिए प्रार्थना करें।
उसके बाद जो भी आपने प्रसाद रखा है उसे भोग लगाकर बाटें व् साथ ही अपने घर के मुख्य द्वार पर एक दीप भी जलाएं।
उसके बाद आप प्रसाद के साथ एक समय भोजन भी कर सकते है।
और जब आपका आखिरी व्रत हो तो उस दिन उद्यापन करना चाहिए, और किताबे बांटनी चाहिए।
तो यदि आप भी माँ वैभव लक्ष्मी का व्रत करना चाहते हैं तो आप भी कर सकते है। और उसके लिए आप ऊपर दी गई व्रत विधि का इस्तेमाल कर सकते है। माँ वैभव लक्ष्मी हर मनोकामना को पूरा करने वाली है यदि आप भी पूरे मन से इस व्रत को करते है तो आपकी भी मनोकामना पूरी होती है।

Comments

Popular Post

घर के मुख्य द्वार पर रखें यह 6 चीज़ें और देखें कमाल

विष्णु जी की महिमा

चन्द्रग्रहण 2018 जुलाई 27