पीपल वृक्ष क्यों माना जाता है भगवान विष्णु का अवतार ?

क्या आप जानते हैं कि पीपल का वृक्ष भगवान विष्णु का ही रुप माना जाता है। अपने इस महत्व के कारण ही पीपल के पेड़ को धार्मिक क्षेत्र में श्रेष्ठ देव वृक्ष की पदवी मिली हुई है और इसका विधि विधान से पूजा करने का सिलसिला शुरु हो गया। हमारे हिन्दू धर्म में कई शुभ अवसरों पर पीपल की पूजा ज़रूर से लोग करते हैं। ऐसी मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष में साक्षात भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी का वास होता है। वहीं, पुराणों में भी पीपल का बहुत महत्व बताया गया है।

पीपल वृक्ष का क्या है महत्व

पीपल वृक्ष को प्रणाम करने और उसकी परिक्रमा करने से आपकी आयु लंबी होगी। जो भी व्यक्ति इस वृक्ष को पानी देता है, वह सभी पापों से छुटकारा पाकर स्वर्ग को जाता है। बता दें कि पीपल में पितरों का वास माना गया है, जिसमें सब तीर्थों का निवास भी होता है इसीलिए मुंडन आदि संस्कार पीपल के पेड़ के नीचे ही करवाने का प्रचलन चला आ रहा है।

शनि की साढ़ेसाती में क्या करें

अकसर लोगों के ऊपर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या का कुप्रभाव रहता है। आप इससे बचने के लिए हर शनिवार पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाए और सात बार परिक्रमा करें। शाम के समय पेड़ के नीचे दीपक भी जलाए क्योंकि यह बहुत लाभकारी सिद्ध होगा।

पीपल का पेड़ कैसे है अनूठा वृक्ष

वैज्ञानिकों की मानें तो पीपल का पेड़ एक अनूठा वृक्ष भी कहा जाता है, जो दिन रात यानि 24 घंटे ऑक्सीजन छोड़ता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि ऑक्सीजन हमारे बॉडी के लिए कितनी ज़रूरी होती है। शायद यही कारण है कि पीपल के वृक्ष को देव वृक्ष का दर्जा दिया गया है। लोगों में यह विश्वास है कि पीपल के वृक्ष की रोजाना पूजा व अर्चना और परिक्रमा कर के जल चढ़ाते रहने से संतान की प्राप्ति ज़रूर होती है। जहां, पुत्र-पुत्री को जन्म देने का सौभाग्य प्राप्त होता है वहीं, पुण्य भी प्राप्त होता है। साथ ही अदृश्य आत्माएँ तृप्त होकर सहायक बन जाती है और अगर किसी की कोई कामना है तो वह भी पूरी हो जाती है।

पीपल वृक्ष की पूजा से कैसे प्रसन्न होते हैं बृहस्पति

पीपल वृक्ष की पूजा से कैसे प्रसन्न होते हैं बृहस्पति
यह शायद बहुत कम लोग जानते हैं कि पीपल को बृहस्पति ग्रह से भी जोड़ा जाता है। ऐसी मान्यता है कि पीपल का बृहस्पति से सीधा संबंध होता है। यही नहीं, बृहस्पति को सभी ग्रहों में सबसे अधिक लाभ देने वाला ग्रह भी माना जाता है। बता दें कि बृहस्पति धन का कारक ग्रह भी माना गया है।
ध्यान दें कि बृहस्पति जब भी किसी की कुंडली में प्रवेश करते हैं, उस व्यक्ति को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने को ज़रूर कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि पीपल में जल चढ़ाने से कुंडली में मौजूद कमजोर बृहस्पति मजबूत हो जाते हैं और मजबूत बृहस्पति समृद्ध हो जाती है।
ज्योतिष शास्त्रों की मानें तो पीपल का पेड़ उसके स्थान से हटाया या फिर काटा नहीं जाना चाहिए। पीपल की पूजा से कार्यों और विचारों में स्थिरता तो आती ही है और साथ ही मन का भटकना रूक जाता है। जान लें कि पीपल की पूजा से व्यक्ति की तार्किक क्षमता में भी वृद्धि होती है और विवाह में आ रही बाधाओं का निवारण होता है, जिससे विवाह जल्दी ही हो जाता है।

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