हस्तरेखा से जानें कैरियर

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सभी अंगुली में प्रायः तीन पोर होते हैं, और यदि यह ज्यादा कटे-फटे न हो तो अच्छी गुणवत्ता के व्यक्तित्व को दर्शाती है तथा सामान्यतः धनाढय योग बताती है। अंगूठे में प्रायः चार पोर हो सकते हैं और यह उच्च इच्छा शक्ति की द्योतक है। तर्जनी उंगली से गुरु पर्वत से होते हुए बुध पर्वत तथा कनिष्ठका उंगली के नीचे से जाती हुई रेखा को हृदय रेखा कहा गया है। हाथ में B से B दिखाया गया है। इससे जाती हुई रेखा को मस्तिष्क रेखा कहते हैं, जो हमारी सोच और अच्छे दिमाग का द्योतक है। A से E को हृदय रेखा से दिखाया गया है। हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा के बीच का राहु का भाग कहलाता है। हाथ में K से दर्शाया क्षेत्र राहु है। शुक्र और चंद्रमा के क्षेत्र से बीचो-बीच जाती हुई रेखा क से क को भाग्य रेखा कहा गया है। यह रेखा जितनी स्पष्ट होगी व्यक्ति उतना भाग्यशाली होगा। भाग्य रेखा के बीच में पड़ने पर क्षेत्र मंगल तथा नीचे चंद्र के ठीक सामने केतु का क्षेत्र है। हाथ में इन्हें प् और J से दर्शाया गया है। आयु रेखा और बुध पर्वत की ओर जाने वाली रेखा को स्वास्थ्य रेखा कहते हैं, यह प्रायः सभी हाथों में नहीं पाई जाती। कुछ लोग अंतज्र्ञान रेखा तथा भाग्य रेखा को ही स्वास्थ्य रेखा समझ लेते हैं जो कि गलत होती है। हथेली में ब् से ब् के क्षेत्रीय रेखा को आयु रेखा कहा गया है। जो व्यक्ति की आयु सीमा निर्धारित करती है। हथेली में कलाई के पास मणिबंध रेखा से दर्शाया गया है। प्रायः यह तीन भागों में होती है तथा थोड़ा चेननुमा हो सकती है। वैवाहिक जीवन में यह रेखा मुख्य भूमिका निभाती है। जिनके हाथ में यह रेखा होती है उनका स्वभाव गुस्से वाला तो होता ही है तथा शादी के बाद अच्छा बदलाव देखने को मिलता है। प्रायः महिलाएं थोड़ा चिड़चिड़ी होती है और गहनों की बहुत शौकीन होती है। थ् से थ् का क्षेत्र चंद्रमा को दर्शाता है। यह व्यक्ति विशेष की वैवाहिक क्षमता को दर्शाता है तथा जितनी रेखाएं आड़ी-तिरछी चंद्रमा में रहती है, उतने छोटे-छोटे प्रेम प्रसंग को दर्शाती है। प्रायः ऐसी रेखा वाले हाथ थोड़ा चंचल पाए गए हैं। हाथ प् से मंगल के क्षेत्र को दर्शाया गया है।
सूर्य रेखा: किसी भी व्यक्ति के हाथ में सूर्य रेखा अथवा पर्वत का उतना ही महत्व है जितना एक मजबूत जिगर का। किसी के मजबूत जिगर का होना मतलब अच्छा सूर्य होना। हाथ ठ की अजीबो-गरीब सूर्य रेखा है। सूर्य रेखा क से क की ओर जाती हुई दिखायी गई है। क से क की ओर जाने वाली रेखा उस व्यक्ति को बहुत ऊंची सोच दिखाती है तथा ब से ब रेखा प्रलोभन में आना, झूठा दिखावा करना, बड़ाई करना आदि दिखाती है। चूंकि क से क रेखा नीचे राहु को छू रही है इसलिए सूर्य राहु के साथ मिलकर राजनीतिज्ञ बनाती है, चूंकि क से क रेखा सूर्य को दिखाती है तो व्यक्ति ज्यादा छलिया नहीं होता है। ब से ब की रेखा एकदम से जोश और आवेश को दिखाती है। क से क की रेखा जो कि नीचे की ओर जा रही है। आत्म विश्वास में कमी करती है। अचानक से मन को हताश करती है और लक्ष्य से विचलित करती है। च से च की रेखा अचानक धन लाभ दिखाती है और किसी भी व्यवसायिकता में धन लाभ दिखाती है, धन लाभ निजी हो सकता है। द से । वलय सामाजिक बदनामी दिखाती है। चूंकि यह वलय शुक्र मुद्रिका भी दर्शाती है इसलिए सम्मान में कमी कर सकती है और व्यवहारिक तौर पर बदनामी भी दे सकती है। वलय की तरफ जो उध्र्वाधर रेखाएं जाती है, जो अनावश्यक प्रेम संबंध दर्शाती है जो स्वार्थवश हो सकती है। व् दर्शाया गया प्वाइंट है जो त्रिभुज के आकार का होता है। यह बिना किसी उपलब्धि के उपलब्धि दिलवा सकता है। नीचे दर्शाये गए चतुर्भुज पैतृक घर और संपत्ति को दर्शाते हैं, यह रेखा सूर्य पर्वत से जितनी दूरी पर होती है घर उतनी ही देरी से बनता है। सूर्य राहु की तरफ बढ़ता है तो सूर्य और राहु की युति भी दर्शायी जा सकती है। सूर्य में तिल का निशान अधिक रुपये को न दिखाकर ग्रहण का योग दिखाता है। मिली-जुली और द्वीप वाली रेखा पराक्रम को कम करके स्वभाव को चंचल तथा धन के प्रति लालची बनाती है तथा किसी न किसी माध्यम से धन को कमाने की कोशिश करते है, चूंकि स्वाभिमान कहीं न कहीं आड़े आता है, इसलिए धन के लेन-देन में चिंता करते हैं और प्रायः ईमानदार होते हैं। बीमारी के तौर पर इन्हें कई रोग होते हैं। इनका स्वभाव कभी-कभी उग्र पाया गया है। क्योंकि इनकी माता-पिता से प्रायः कम ही पटती है। खाने-पीने के शौकीन होते हैं तथा स्वाद के प्रायः पसंदीदा होते हैं।
8 प्रकार के हाथों की विवेचना करते समय अनामिका को खास प्रकार से ध्यान देते हैं। यह प्रायः चतुर्भुज आकार के होते हैं। अनामिका के प्रथम पोर क से क का जाल राशियां। यह जाल प्रायः पतले सिरे से शुरु होकर चैड़े क शिरे तक जा सकता है। जाल की रेखाएं बहुत धनी न होकर थोड़ी दूर-दूर भी हो सकती है। जिन हाथों में यह जाल पाया जाता है उन्हें प्रायः पिता का सुख कम ही नसीब होता है। उनके अस्तित्व में आने के साथ ही उनके पिता की मृत्यु हो जाती है। या यूं कह सकते हैं कि उनके होते ही पिता की मृत्यु हो जाती है। पिता की मृत्यु के बाद धीरे-धीरे चिन्ह खत्म प्रतीत होता है। फिर भी खत्म होते होते 10 से 15 साल भी लग सकते हैं। हृदय रेखा का चित्र जो आपको दिखाया गया है, वह बहुत ही संवेदनशील लोगों के लिए होता है, प्रायः इनकी तबियत भी नरम होती है। ज्यादातर पेट संबंधी तथा सांस संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। ऐसी हृदय रेखा वाले व्यक्ति प्रायः तुनक मिजाज तथा कभी खुशी कभी गम वाले होते हैं। हृदय रेखा को काटती हुई एक रेखा ब से ब को जाती है जो शनि पर्वत की ओर जाती है। इसे हम गुरु शनि युति अथवा गुरु शनि का संबंध कह सकते हैं। इस रेखा के होने से अंतज्र्ञान ज्ञान में वृद्धि होती है तथा इनकी अपने माता-पिता से ज्यादा नहीं बनती है। मस्तिष्क रेखा जो चंद्रमा क्षेत्र की ओर जाने वाली मस्तिष्क रेखा हर रोज में थोड़ा-थोड़ा ज्ञान दिखाती है तथा उच्च शिक्षा को दिखाती है। इस तरह की रेखा कई बार सीधी चंद्रमा की तरफ निकलती है, यह रेखा अहंकार को दिखाती है तथा व्यक्ति के अधूरे ज्ञान का संकेत देती है।
मस्तिष्क रेखा में एक व रेखा दिखाई गई है। झुकी हुई मस्तिष्क रेखा का अचानक उठना, बड़ाई करने वाला स्वभाव बताता है, ऐसे व्यक्ति प्रायः क्रोधी, मुंहफट तथा अपनी बड़ाई खुद ही करते हैं। आयु रेखा में द्वीप का निशान बीमारी देता है, बीमारी भी ऐसी जो पकड़ में न आवे। आयु रेखा में द्वीप जिंदगी में बेवजह तनाव देता है तथा कोई भी काम आसानी से नहीं हो पाते हैं। प्रायः जीवन तनावपूर्ण होता है। मस्तिष्क रेखा जितनी छोटी उतनी कष्टदायी होती है तथा व्यक्ति के तुच्छ विचारों को दर्शाती है, ऐसे व्यक्ति में खुद के निर्णय लेने की क्षमता नहीं रहती है तथा पढ़ाई भी प्रायः कम ही रहती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इनमें दूरदर्शिता प्रायः कम पाई जाती है। ये अपने तुच्छ विचारों से कुछ भी कर सकते हैं तथा किसी को कुछ भी कह सकते हैं। इनमें दूरदर्शिता की कमी पायी जाती है और जिन व्यक्तियों में दूरदर्शिता नहीं रहती उनका दिल बहुत मजबूत रहता है। क्योंकि वे आगे और गहराई से विचार करके अपनी दिमाग नहीं खपाते हैं। दिल से कठोर निर्दयी होते हैं।
हाथ में दिखायी गई भाग्य रेखा एक नहीं कई कामों और विचारों को व्यक्त करती है, उस तरह की भाग्य रेखा में न जानें कितनी उथल-पुथल रहती है। पढ़ाई भी ठीक से नहीं हो पाती है, मन एकाग्र नहीं रहता है, किसी भी काम की शुरुआत महज एक इत्तेफाक होती है और भाग्य से चलता हुआ काम अचानक रुक जाता है या दूसरा काम शुरु हो जाता है। स्थिरता मिलना थोड़ा मुश्किल रहता है। फिर भी जैसे तैसे करके अपना जीवन यापन करते हैं और आखिरकार अपनी जिंदगी जी ही लेते हैं।
अगर बात चरित्र की करते हैं तो अपने जीवन साथी से प्रायः नाराज होते रहते हैं। मानसिकता इतनी मजबूत नहीं रहती है। हर समय अपने भाग्य को कोसते रहते हैं, दरअसल मेहनती थोड़ा कम ही रहते हैं, यदि भाग्य रेखा सीधी हो ठीक नहीं हो तो भाग्य रेखा न हो तो ज्यादा अच्छा है। भाग्य रेखा में बना त्रिशूल व्यक्ति को अंतज्र्ञान तथा तंत्र, मंत्र को दर्शाता है। ऐसा व्यक्ति तंत्र, मंत्र साधना में प्रायः लीन रहता है या कह सकते हैं कि धर्म तथा ज्योतिष के प्रति रुझान ज्यादा रहता है। प्रायः ऐसे व्यक्ति मूडी देखे गए हैं। जल्दी ही किसी भी चीज़ से ऊब जाते हैं तथा किसी से दोस्ती भी उतनी ही जल्दी से करते हैं जितनी जल्दी बोर हो जाते हैं।
शनि रेखा सीधी हो तो जातक अधिक उम्र तक जवान दिखता है। लेकिन मेहनती प्रायः कम होता है। सीधी शनि (भाग्य रेखा) वाला व्यक्ति प्रायः भाग्य पर निर्भर होता देखा गया है। आलस्य प्रवृत्ति का होता है, कर्म से ज्यादा भाग्य पर यकीन करता है, प्रायः खूबसूरत तथा घुंघराले बाल होते हैं, क्योंकि शनि (भाग्य) रेखा प्रधान होती है। यदि यह शनि रेखा छोटे हाथों में होती है तो व्यक्ति कुंठित प्रवृति का होता है, सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें करता है।
बीच से टूटा हुआ भाग व अचानक से कार्य में बदलाव लाता है। किसी एक व्यवसाय अथवा कार्य का परिवर्तन दर्शाता है। अचानक कार्य करते-करते आप कोई दूसरा व्यवसाय भी कर सकते हैं। टूटी हुई भाग्य रेखा संतुष्टि को नहीं दर्शाता है, व से च रेखा अचानक कार्य करते-करते बोरियत महसूस करना कार्य परिवर्तन करना दिखाता है। यदि क से क रेखा की बात करें तो शादीशुदा जिंदगी इनकी इतनी सफल नहीं होती है। लंबी शनि रेखा में सपने काफी बड़े होते हैं, राजनीतिज्ञ योग्यताएं तथा विलक्षण बुद्धि पायी जाती है। गाड़ियों का शौक रहता है तथा कभी-कभी बड़ाई करने वाले भी होते हैं। अपने मुंह से अपनी तारीफ करने वाले होते हैं। चंद्रमा पर्वत ा से ा में खींची गई रेखाएं असमय तथा बिना कारण के यात्रा दर्शाती है। सीधी रेखा श्र पर आधी रेखा छ प्रेम संबंध (गुप्त) दर्शाती है। यह प्रेम संबंध गुप्त भी हो सकता है। जो कभी उजागर नहीं होता है। ब से ब प्रेम रेखा तथा यात्रा प्रिय रेखा कहलाती है। ये व्यक्ति प्रायः यात्रा के शौकीन होते हैं तथा ब से ब रेखा गुप्त प्रेम संबंध तथा रोमांटिक स्वभाव का भी द्योतक है। यदि वह सारी रेखाएं वर्गाकार हाथ में होती है तो व्यक्ति अपना निजी व्यवसाय चलाता है तथा नाम कमाता है। यदि यह रेखाएं दार्शनिक हाथ में होती है तो व्यक्ति उमंगशील प्रवृत्ति का तथा कला प्रेमी होता है। उसे पैसों का आभाव प्रायः कम ही होता है।

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