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संस्कृत हनुमान चालीसा

 *संस्कृत में हनुमान चालीसा*  〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️ श्री गुरु चरण सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि । बरनऊं रघुवर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ।। बुद्धि हीन तनु जानिकै सुमिरौं पवनकुमार । बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहु क्लेश विकार ।। हृद्दर्पणं नीरजपादयोश्च                                                                                              गुरोः पवित्रं रजसेति कृत्वा ।    फलप्रदायी यदयं च सर्वम्                                     रामस्य पूतञ्च यशो वदामि ।।                                              स्मरामि तुभ्यम् पवनस्य पुत्रम्                                  बलेन रिक्तो मतिहीनदासः ।  दूरीकरोतु सकलं च दुःखम्                                     विद्यां बलं बुद्धिमपि प्रयच्छ ।। जय हनुमान ज्ञान गुण सागर                                          जय कपीस तिहुं लोक उजागर । जयतु हनुमद्देवो ज्ञानाब्धिश्च गुणागरः । जयतु वानरेशश्च त्रिषु लोकेषु कीर्तिमान् ।।( 1) रामदूत अतुलित बलधामा                                     अंजनि पुत्र पवनसुत नामा । दूतः कोशलराजस्य शक्तिमांश्च न तत्समः । अञ्जना जननी

पुरषोत्तम मास

 *क्या है अधिकमास, कब आता है, जानिए इसका पौराणिक आधार*       हिंदू कैलेंडर में हर तीन साल में एक बार एक अतिरिक्त माह का प्राकट्य होता है, जिसे अधिकमास, मल मास या पुरुषोत्तम मास के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में इस माह का विशेष महत्व है। संपूर्ण भारत की हिंदू धर्मपरायण जनता इस पूरे मास में पूजा-पाठ, भगवतभक्ति, व्रत-उपवास, जप और योग आदि धार्मिक कार्यों में संलग्न रहती है। ऐसा माना जाता है कि अधिकमास में किए गए धार्मिक कार्यों का किसी भी अन्य माह में किए गए पूजा-पाठ से 10 गुना अधिक फल मिलता है। यही वजह है कि श्रद्धालु जन अपनी पूरी श्रद्धा और शक्ति के साथ इस मास में भगवान को प्रसन्न कर अपना इहलोक तथा परलोक सुधारने में जुट जाते हैं। अब सोचने वाली बात यह है कि यदि यह माह इतना ही प्रभावशाली और पवित्र है, तो यह हर तीन साल में क्यों आता है? आखिर क्यों और किस कारण से इसे इतना पवित्र माना जाता है? इस एक माह को तीन विशिष्ट नामों से क्यों पुकारा जाता है? इसी तरह के तमाम प्रश्न स्वाभाविक रूप से हर जिज्ञासु के मन में आते हैं। तो आज ऐसे ही कई प्रश्नों के उत्तर और अधिकमास को गहराई से जानते हैं- हर

पितृ पक्ष 2020 उपाय

 *पितृ मोक्ष अमावस्या*  🚩 पितृ मोक्ष अमावस्या हिन्दी आश्विन माह की अमावस्या के दिन  मनाया जाता है। 🚩  पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन हम अपने पितरो को विदाई देते है। 🚩 हमारे दिवंगत परिजनो की तिथि की जानकारी यदि हमे नही है  तो उनका श्राद्ध हम इस पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन कर सकते है। 🚩 श्राद्घ करने के साथ ही साथ प्रसन्न मन से ब्राह्मण को सीधा ( कच्चा भोजन बनाने की सामग्री  ÷ आटा + चावल + दाल + कच्ची सब्जी + घी + शक्कर + नमक इत्यादि ) वस्त्र + दक्षिणा के साथ अवश्य दे। 🚩  पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन बड़े पेड़ो  ( पीपल + बरगद + आम + ऑवला + शमी + अशोक + बादाम + बेल इत्यादि ) का वृक्षारोपण अवश्य करे। 🚩 पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन पीली सरसो का छिड़काव पूरे भवन मे अवश्य करे। 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩 *एस्ट्रो कृष्णाकविता वर्मा*  👩‍💻🙏💐📱 *8574074069*  📱 *9696399616*
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🕉 *महाशिवरात्रि*🕉 *महाशिवरात्रि इस बार 4 मार्च सोमवार को मनाई जाएगी। इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग व श्रवण नक्षत्र का श्रेष्ठ संयोग बन रहा है। इस दिन विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।*  *4 मार्च को सुबह 6.52 से दोपहर 12.30 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग है।* *दोपहर 12.10 बजे तक श्रवण नक्षत्र है। शाम 4.29 बजे तक त्रियोदशी है। इसके बाद चतुर्दशी प्रारंभ होगी। इस कारण इस बार शिवरात्रि को सोमवार होने के अलावा सर्वार्थ सिद्धि व श्रवण नक्षत्र का भी विशेष योग बन रहा है। इस कारण इस बार 4 मार्च को शिवरात्रि मनाई जाएगी। यह योग सभी कार्यों में सफलता, धन संपत्ति, सुख व प्रेम प्रदान करने वाला है। इस दिन श्रद्धालुओं को भगवान शिव की विधि-विधान के साथ पूजा कर उपवास रखना चाहिए। चार प्रहर की पूजा का भी विशेष महत्व है ।* *रुद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे सरल एवम प्रभावी उपाय है।  शिवरात्रि के दिन यदि रुद्राभिषेक किया जाये तो इसकी महत्ता और भी बढ़ जाती है। रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र का अभिषेक अर्थात शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों के द्वारा अभिषेक कर

महाशिवरात्रि

4 मार्च, सोमवार को महाशिवरात्रि है। सोमवार और शिवरात्रि का शुभ योग होने से इस दिन का महत्व काफी अधिक बढ़ गया है। इस दिन शिव-पार्वती की विशेष पूजा करनी चाहिए। शिवरात्रि पर पति-पत्नी एक साथ शिव-पार्वती की पूजा करेंगे तो उनके वैवाहिक जीवन की परेशानियां दूर हो सकती हैं। शिवरात्रि पर शिवजी को चढ़ाना चाहिए 15 चीजें चंदन, धतूरा, चावल, आंकड़े के फूल, बिल्वपत्र, जनेऊ, प्रसाद के लिए फल, दूध, मिठाई, नारियल, पंचामृत, सूखे मेवे, मिश्री, पान, दक्षिणा पूजा में शिवलिंग पर जरूर चढ़ाएं। शिव मंत्र : ऊँ ह्रीं नमः शिवायै च नमः शिवाय 108 बार करना है। शिव पूजा की 11 स्टेप्स 1. इस दिन पति-पत्नी घर के मंदिर में शिव-पार्वती के सामने पूजा करने का संकल्प करें। यानी इस दिन आपको एक साथ शिव-पार्वती की पूजा करनी है, इस बात का संकल्प करना है। 2. घर में मंदिर में या किसी अन्य मंदिर में शिव-पार्वती की पूजा का प्रबंध करें। पति-पत्नी आसन पर बैठें और सबसे पहले गणेशजी का पूजन करें। पत्नी को पति के बाएं हाथ की ओर बैठना चाहिए। 3. गणेशजी को स्नान कराएं। वस्त्र अर्पित करें। गंध, हार-फूल, चावल, प्रसाद, जनेऊ आदि

माघ संकष्ठी व्रत

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राधेकृष्णा जी  सकट चौथ का महत्व 24 जनवरी 2019 सकट चौथ पूरे साल में पड़ने वाली 4 बड़ी चतुर्थी तिथियों में से एक है। सकट चौथ पर सुहागन स्त्रियां सुबह-शाम गणेशजी की पूजा करती है और रात में चंद्रमा के दर्शन और पूजा करने के बाद पति का आशीर्वाद लेती हैं। इसके बाद व्रत खोला जाता है। इस तरह व्रत करने से दाम्पत्य जीवन में कभी संकट नहीं आता। पति की उम्र बढ़ती है और शादीशुदा जीवन में प्रेम के साथ सुख भी बना रहता है। इस व्रत को करने से पति के सारे संकट भी दूर हो जाते हैं। सकट चौथ की कथा सतयुग में राजा हरिश्चंद्र के राज्य में एक कुम्हार था। एक बार तमाम कोशिशों के बावजूद जब उसके बर्तन कच्चे रह जा रहे थे तो उसने यह बात एक पुजारी को बताई। उस पर पुजारी ने बताया कि किसी छोटे बच्चे की बलि से ही यह समस्या दूर हो जाएगी। इसके बाद उस कुम्हार ने एक बच्चे को पकड़कर भट्टी में डाल दिया। वह सकट चौथ का दिन था। काफी खोजने के बाद भी जब उसकी मां को उसका बेटा नहीं मिला तो उसने गणेश जी के समक्ष सच्चे मन से प्रार्थना की। उधर जब कुम्हार ने सुबह उठकर देखा तो भट्टी में उसके बर्तन तो पक गए लेकिन बच्चा भी सुरक्षित थ
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*स्वास्तिक की महिमा -*  *स्वास्तिक - अर्थ - महत्त्व -  रहस्य -  लाभ उठाने के तरीके? -* स्वस्तिक अत्यन्त प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति में मंगल-प्रतीक माना जाता रहा है। इसीलिए किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले स्वस्तिक चिह्व अंकित करके उसका पूजन किया जाता है। आज हम इसका अर्थ, महत्व और उपयोग के बारे में कुछ दुर्लभ जानकारियां देंगे. अर्थ : स्वस्तिक शब्द सु+अस+क से बना है। 'सु' का अर्थ अच्छा, 'अस' का अर्थ 'सत्ता' या 'अस्तित्व' और 'क' का अर्थ 'कर्त्ता' या करने वाले से है। इस प्रकार 'स्वस्तिक' शब्द का अर्थ हुआ 'अच्छा' या 'मंगल' करने वाला। 'अमरकोश' में भी 'स्वस्तिक' का अर्थ आशीर्वाद, मंगल या पुण्यकार्य करना लिखा है। अमरकोश के शब्द हैं - 'स्वस्तिक, सर्वतोऋद्ध' अर्थात् 'सभी दिशाओं में सबका कल्याण हो।' इस प्रकार 'स्वस्तिक' शब्द में किसी व्यक्ति या जाति विशेष का नहीं, अपितु सम्पूर्ण विश्व के कल्याण या 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की भावना निहित है। 'स्वस्तिक' शब्द की