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Showing posts from September, 2018
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भगवान विष्णु के “अनंत” रूप की पूजा का महत्व! 23 सितंबर 2018 को मनाया जाएगा अनंत चतुर्दशी का पर्व, जानें इस व्रत की पूजा विधि।  अनंत चतुर्दशी जिसे अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है, यह हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला एक पर्व है। भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुदर्श मनाई जाती है। इस वर्ष यह पर्व 23 सितंबर रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा होती है। गणेश चतुर्थी के दिन स्थापित की गईं गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन भी 10 दिन बाद अनंत चतुर्दशी के दिन किया जाता है। हालांकि गणेश स्थापना 3, 5 और 7 दिन के लिए भी की जाती है। उत्तर और मध्य भारत में अनंत चतुर्दशी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। अनंत चतुर्दशी पूजा मुहूर्त 2018पूजा का समय06:09:42 से 7:19:37 24 सितंबर तकअवधि25 घंटे 9 मिनट    अनंत चतुर्दशी का महत्व हिन्दू धर्म में व्रत, पर्व और त्यौहार का विशेष महत्व है। हर साल कई व्रत और त्यौहार मनाये जाते हैं। इन्हीं में से एक है अनंत चतुर्दशी का पर्व। अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है। यह पूजन दोपहर में संपन्न होत
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*★ पितृ पक्ष - श्राद्ध-  24 सितम्बर 2018* •• जिन लोगों को अपने परिजनों की मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं होती उनके लिये भी श्राद्ध-पक्ष में कुछ विशेष तिथियाँ निर्धारित की गई हैं । उन तिथियों पर वे लोग पितरों के निमित श्राद्ध कर सकते है । 1. प्रतिपदा : इस तिथि को नाना-नानी के श्राद्ध के लिए सही बताया गया है । इस तिथि को श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है । यदि नाना-नानी के परिवार में कोई श्राद्ध करने वाला न हो और उनकी मृत्युतिथि याद न हो, तो आप इस दिन उनका श्राद्ध कर सकते हैं । 2. पंचमी : जिन लोगों की मृत्यु अविवाहित स्थिति में हुई हो, उनका श्राद्ध इस तिथि को किया जाना चाहिये । 3. नवमी : सौभाग्यवती यानि पति के रहते ही जिनकी मृत्यु हो गई हो, उन स्त्रियों का श्राद्ध नवमी को किया जाता है । यह तिथि माता के श्राद्ध के लिए भी उत्तम मानी गई है । इसलिए इसे मातृ-नवमी भी कहते हैं । मान्यता है कि - इस तिथि पर श्राद्ध कर्म करने से कुल की सभी दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध हो जाता है । 4. एकादशी और द्वादशी : एकादशी में वैष्णव संन्यासी का श्राद्ध करते हैं । अर्थात् इस तिथि को उ
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*सम्पूर्ण दरिद्रता निवारण हेतु महालक्ष्मी ब्रत 17 सितम्बर 2018 से शुरू हो रहा है- ज्योतिष उपाय ग्रुप में सर्वप्रथम जानिए -व्रत कथा  पूजा विधि -और उद्यापन की सम्पूर्ण विधि-* 16 दिनों तक चलने वाला महालक्ष्मी व्रत कल भाद्रपद के शुक्लपक्ष की अष्टमी से प्रारम्भ होकर आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक चलता है। मान्यता है कि ये व्रत 16 दिन तक किया जाता है। अगर आप पूरे सोलह दिनों तक इस व्रत को करने में असमर्थ हैं, वो सोलह दिनों में से केवल 3 दिन के लिये यह व्रत कर सकते हैं। लेकिन ये तीन व्रत पहले, मध्य और आखिर में किये जाते हैं। इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता और 16वें दिन पूजा कर इस व्रत का उद्यापन किया जाता है। शास्त्रानुसार यह बहुत महत्वपूर्ण व्रत है। इस व्रत को रखने से मां लक्ष्मी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और जीवन में हर प्रकार की समस्याओं का अंत होता है। *महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि –*  पूजन के लिए सबसे पहले कलश की स्थापना की जाती है। राहुकाल को छोड़कर आप किसी भी शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना कर सकते हैं। कलश स्थापना के बाद कलश पर एक कच्चा नारियल लाल कपड़े में लपेट कर उस
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*☆☆ भारतीय-संस्कृति और धर्म-कर्म* *★ श्राद्ध कर्म* •• धर्म ग्रंथों के अनुसार श्राद्ध के सोलह दिनों में लोग अपने पितरों को जल देते हैं तथा उनकी मृत्युतिथि पर श्राद्ध करते हैं। ऐसी मान्यता है कि पितरों का ऋण श्राद्ध द्वारा चुकाया जाता है। वर्ष के किसी भी मास तथा तिथि में स्वर्गवासी हुए पितरों के लिए पितृपक्ष की उसी तिथि को श्राद्ध किया जाता है । •• पूर्णिमा पर देहांत होने से भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा को श्राद्ध करने का विधान है। इसी दिन से महालय (श्राद्ध) का प्रारंभ भी माना जाता है। श्राद्ध का अर्थ है श्रद्धा से जो कुछ दिया जाए। पितृपक्ष में श्राद्ध करने से पितृगण वर्षभर तक प्रसन्न रहते हैं। धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि पितरों का पिण्ड दान करने वाला गृहस्थ दीर्घायु, पुत्र-पौत्रादि, यश, स्वर्ग, पुष्टि, बल, लक्ष्मी, पशु, सुख-साधन तथा धन-धान्य आदि की प्राप्ति करता है। •• श्राद्ध में पितरों को आशा रहती है कि हमारे पुत्र-पौत्रादि हमें पिण्ड दान तथा तिलांजलि प्रदान कर संतुष्ट करेंगे। इसी आशा के साथ वे पितृलोक से पृथ्वीलोक पर आते हैं। यही कारण है कि हिंदू धर्म शास्त्रों में प्रत्येक ह
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भगवन गणेश जी/सामुद्रिक शास्त्र/धन निवेश    🙏🌹🌹🌹🙏 बुद्धि प्रदाता व  समृद्धि के देवता विघ्नहर्ता के रूप में पूजे जाते है। शुभ काम की शुरूआत करने से पहले गणेश पूजा का रिवाज है। ठीक उसी तरह बप्पा के हर अंग में समृद्धि का संदेश देता है जिसके कारण निवेशकों को भी निवेशक करते समय इन गुणों से प्रेरणा लेनी चाहिए। बड़ा मुख बड़ी सोच का प्रतीक होता है। ठीक उसी तरह फाइनेंशियल प्लानिंग में दूर की सोच रखना जरूरी होता है। छोटी, मध्यम और लंबी अवधि के लक्ष्य तय करें ताकि लक्ष्य तय करने से निवेशको में रिस्क और रिटर्न की समझ बढ़ेगी। गणेश जी का मस्तक काफी बड़ा है। अंग विज्ञान के अनुसार बड़े सिर वाले व्यक्ति नेतृत्व करने में योग्य होते हैं। इनकी बुद्घि कुशाग्र होती है। गणेश जी का बड़ा सिर यह भी ज्ञान देता है कि अपनी सोच को बड़ा बनाए रखना चाहिए। बड़ा माथा समय के सही इस्तेमाल का सूचक होता है। पिछले बुरे अनुभवों को भूलकर नई शुरूआत करें। भविष्य की प्लानिंग के लिए अभी से निवेश करें। गणपति की आंखें छोटी हैं। अंग विज्ञान के अनुसार छोटी आंखों वाले व्यक्ति चिंतनशील और गंभीर प्रकृति के होते हैं। गणेश ज
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*गणेश प्रतिमा का आध्यात्मिक रहस्य-*      *।।श्री गणपति अथर्व विज्ञानं ।।*      गणेशजी  के उत्सव   में 9 दिन के त्यौहार और 10 वे दिन मूर्ति का विसर्जन करते है🙏 *परन्तु इस सब में हम यह सीखना भूल गए आखिर इसका बोध क्या है क्यों हम एक परम्परा को सालो से मानते आये है पर कभी यह नहीं सोचा आखिर जो परम्परा बनी है उसका रहस्य क्या है?* *कौन है गणेश?* वेदों में गणेश का कोई भी आकार नहीं बताया नहीं उपनिषद यह केहता है पुराणों में इसका उल्लेख है एक कथा के रूप में कथा थी अब इसके पीछे के विज्ञानं की खोज करते है *क्यों शिव ने शक्ति के पुत्र का मस्तक काटा?* क्या कोई पिता अपने पुत्र को पहचान न पाया? अगर एक हाथी का मस्तक धड से लग सकता है तो फिर वो ही मस्तक दुबारा क्यों नहीं लगाया? ऐसे सवाल काफी है जिसके जवाब नहीं मिलते फिर ये एक कथा को सत्य मान लेते है जड दिमाग कभी किसीका भला नहीं कर सकता जब पार्वती ने अपने मेल से आकार दिया तो प्रकृति का प्रधान्य करते हुए 3 दोष उसमे चले गए जो अपने भीतर की शक्ति को रोक नहीं पाए इसमें एक बुद्धि और ज्ञानी के पास शक्ति हो तो वो उसका उपयोग कहा कै
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#गणेशजी_को_प्रसन्न_करने_के_उपाय गणेश जी को प्रसन्न करने के उपाय राशि के अनुसार,,,गणेश चतुर्थी पर कैसे करें गणेश जी को प्रसन्न,,गणेश उत्सव पर गणेश जी को खुश करने के लिए के 10 उपाय नित्य प्रात: व शायंकाल में गणेश की पूजा व दर्शन।                                        (13सितम्बर  *स्थापना महूरत  सुबह11:09 मिनट से दुपहर01:35मिनट तक*) बुधवार के दिन मूंग के लड्डू, दूर्वा, गुड़ एवं दक्षिणा गणपति भगवान को अर्पित करें गणेश मन्त्रों का लाल चंदन की माला से ही जाप करें पूजा में गणेश कवच, चालीसा, स्त्रोत तथा गणेश के 108 नामों का जाप करें संकटनाशन गणेश स्तोत्र का रोज 21 बार जो भी मनोकामना हो संकल्प लेकर पाठ करें तो आपकी हर मनोकामना पूर्ण होगी इन दिनों आप पूर्ण रूप ब्रहंचर्य का पालन करे तथा शुद्ध शाकाहार का सेंवन करें मंगलवार के दिन गुड़ का भोग लगायें नाखून काटना, बाल काटवाना, सेव करना आदि काम न करें भूखे को मूंग की खिचड़ी खिलायें। देशी घी व सिंदूर से गणेश भगवान की मालिश करें 21 ,दूर्वा की जोड़ी को गणेश स्त्रोत पढ़ने के बाद चढ़ाएं  भक्‍तगण वि‍घ्‍नहर्ता की कैसे पूजा करें और राशि‍यों
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गणेश जी प्रतिमा चयन करते समय ध्यान रखें कि... श्री गणेश की दाईं सूंड या बाईं सूंड का रहस्य...  अक्सर श्री गणेश की प्रतिमा लाने से पूर्व या घर में स्थापना से पूर्व यह सवाल सामने आता है कि श्री गणेश की कौन सी सूंड होनी चाइये....  क्या कभी आपने ध्यान दिया है कि भगवान गणेश की तस्वीरों और मूर्तियों में उनकी सूंड दाई या कुछ में बाई ओर होती है। सीधी सूंड वाले गणेश भगवान दुर्लभ हैं। इनकी एकतरफ मुड़ी हुई सूंड के कारण ही गणेश जी को वक्रतुण्ड कहा जाता है। भगवान गणेश के वक्रतुंड स्वरूप के भी कई भेद हैं। कुछ मुर्तियों में गणेशजी की सूंड को बाई को घुमा हुआ दर्शाया जाता है तो कुछ में दाई ओर। गणेश जी की सभी मूर्तियां सीधी या उत्तर की आेर सूंड वाली होती हैं। मान्यता है कि गणेश जी की मूर्त जब भी दक्षिण की आेर मुड़ी हुई बनाई जाती है तो वह टूट जाती है। कहा जाता है कि यदि संयोगवश आपको दक्षिणावर्ती मूर्त मिल जाए और उसकी विधिवत उपासना की जाए तो अभिष्ट फल मिलते हैं। गणपति जी की बाईं सूंड में चंद्रमा का और दाईं में सूर्य का प्रभाव माना गया है। प्राय: गणेश जी की सीधी सूंड तीन दिशाआें से दिखती है। जब
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कब है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, ये है व्रत की सही तारीख और शुभ मुहूर्त: हर साल की तरह इस बार भी यह कन्फ्यूजन हो गया है कि जन्माष्टमी 2 सितंबर को है या तीन सितंबर को। आइए जानते हैं - यह व्रत किस दिन है और ज्यादातर लोग इसे कब मनाएंगे।जन्माष्टमी): श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हर साल रक्षा बंधन के बाद मनाई जाती है। हर साल की तरह इस बार भी यह कन्फ्यूजन हो गया है कि जन्माष्टमी 2 सितंबर को है या तीन सितंबर को। दरअसल एक बात यहां समझने की है कि हिंदू धर्म में दो तरह की तिथि को लोग मानते है कुछ लोग उदया तिथी को मानते है और उसके अनुसार व्रत करते हैं। दूसरी तरफ कुछ लोग उदया तिथि को नहीं मानते हैं। भगवान कृ्ष्ण के पावन धाम वृंदावन में भी जन्माष्टमी इस बार धूमधाम से मनाए जाने की तैयारियों जोर-शोर से चल रही है। कब मनाई जाती है जन्माष्टमी? श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनार्इ जाती है। इस बार यह पर्व 2 सितंबर को पड़ रहा है। लेकिन इस बार भी कई लोग इसे 2 सितंबर और 3 सितंबर को अलग-अलग मनाएंगे। व्रत वाले दिन, स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद, पूरे दिन उपवास रखकर रोहिणी नक्षत्र औ