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Showing posts from October, 2018
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शरद पूर्णिमा विशेष 〰〰🌼🌼〰〰 अक्टूबर 23को समस्त भारत वर्ष में शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जायेगा। इस दिन श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचाया था। साथ ही माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी रात के समय भ्रमण में निकलती है यह जानने के लिए कि कौन जाग रहा है और कौन सो रहा है। उसी के अनुसार मां लक्ष्मी उनके घर पर ठहरती है। इसीलिए इस दिन सभी लोग जगते है । जिससे कि मां की कृपा उनपर बरसे और उनके घर से कभी भी लक्ष्मी न जाएं। इसलिए इसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा भी कहते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा ही शरद पूर्णिमा पर्व मनाया जाता है।  इस दिन पूरा चंद्रमा दिखाई देने के कारण इसे महापूर्णिमा भी कहते हैं। पूरे साल में केवल इसी दिन चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। हिन्दी धर्म में इस दिन कोजागर व्रत माना गया है। इसी को कौमुदी व्रत भी कहते हैं। मान्यता है इस रात्रि को चन्द्रमा की किरणों से अमृत झड़ता है। तभी इस दिन उत्तर भारत में खीर बनाकर रात भर चाँदनी में रखने का विधान है। शरद पूर्णिमा विधान 〰〰〰〰〰〰 इस दिन मनुष्य विधिपूर्वक स्नान करके उपवास रखे और ब्
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*नवरात्र में कन्या पूजन* 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 नवरात्र में कन्‍या को देवी का रूप मानकर पूजन किया जाता है। कन्याओं का देवियों की तरह आदर सत्कार और भोज कराने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करती है। *कन्या पूजन में कन्याओं की उम्र* कन्या पूजन में कन्या की आयु 2 वर्ष से ऊपर तथा 11 वर्ष से कम होनी चाहिए। श्रीमद देवीभागवत पुराण के अनुसार कन्या पूजन में 1 वर्ष की कन्या को नही बुलाना चाहिए, क्योकि वह कन्या गंध भोग आदि पदार्थो के स्वाद से एकदम अनभिज्ञ तथा अपनी भावना को भी व्यक्त नहीं कर पाती है । अतः इस उम्र की कन्या का पूजन नही करना चाहिए। पूजा में कन्या की संख्या कम से कम 9  होनी चाहिए। कन्या पूजन के समय एक बालक भी होना चाहिए जिसे हनुमानजी अथवा भैरव का रूप माना जाता है। जिस प्रकार माता की पूजा भैरव के बिना पूर्ण नहीं होती है, उसी प्रकार कन्या-पूजन के समय एक बालक को भी भोजन कराना बहुत जरूरी होता है। *उम्र के अनुसार कन्या का नामकरण* प्रथम वर्ष –      देवी रूप में द्वितीय वर्ष –    कुमारी तृतीय वर्ष –     त्रिमूर्ति चतुर्थ वर्ष –      कल्या
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दुर्गा सप्तशती के दुर्लभ प्रयोग जय माता विंध्यवासिनी मां दुर्गा शप्तशती आज के कलयुग में एक बहुत ही प्रभावी और तीव्र प्रभाव देने वाला चरित्र है इसको यदि समुचित तरीके से प्रयोग किया जाये तो एक व्यक्ति को उसके सभी प्रश्नों और समस्यायों का निवारण इसके श्लोकों में निहित है -! मेरा अपना मानना तो ये हैं की इस पुस्तक कि जरुरत हर एक घर में है और साथ ही इसके विधानों कि जानकारी भी प्रत्येक मनुष्य के लिए आवश्यक है -! लेकिन विधि का विधान भी बहुत बड़ा है – मैंने स्पष्ट देखा है कि यदि आपके भाग्य में कष्ट लिखा हुआ है तो सामने आपका समाधान लिए हुए कोई व्यक्ति खड़ा है और बार – बार दोहरा रहा है कि ऐसे कर लो तो समस्यायों से मुक्त हो जाओगे लेकिन आपके पास समय ही नहीं होता कि आप किसी कि बात सुन सकें या किसी विधान को कर सकें -! आज का समाज इतना भौतिक हो गया है कि सभी खुश रहना चाहते हैं लेकिन खुद को खुश रखने के लिए जब प्रयास करने कि बारी आती है तो प्रतिनिधि तलाश करने लग जाते हैं जो उनके बदले कुछ ले देकर जो भी करना है कर दे और जिसका फल उन्हें तत्काल मिल जाये । लेकिन कोई भी ये नहीं सोचता कि ऐसा कैस
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कलश स्थापना विधि इस साल शारदीय नवरात्र 10 अक्टूबर 2018 से शुरू हो रहे हैं। हिंदू धर्म में नवरात्रि को बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा अलग-अलग रूप में आपके घर में विराजमान रहती हैं।  नवरात्रि के प्रत्येक दिन मां भगवती के एक स्वरूप श्री शैलपुत्री, श्री ब्रह्मचारिणी, श्री चंद्रघंटा, श्री कूष्मांडा, श्री स्कंदमाता, श्री कात्यायनी, श्री कालरात्रि, श्री महागौरी, श्री सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। यह क्रम प्रतिपदा को प्रात: काल शुरू होता है। प्रतिदिन जल्दी स्नान करके मां भगवती का ध्यान तथा पूजन करना चाहिए। सर्वप्रथम कलश स्थापना की जाती है घट स्थापना शुभ मुहूर्त (10 अक्टूबर 2018, प्रात: 6:21 से 7:25 के बीच) शारदीय नवरात्रा घट स्थापना मूहूर्त योग  घट स्थापना देवी का आहवान के लिये देवी पुराण व तिथि तत्व में प्रातकाल प्रतिपदा तिथि एवं द्विस्वभाव लग्र में घट स्थापना करना श्रेष्ठ बताया है। जिसमें चित्रा नक्षत्र एवं वैधृति योग को त्याग्य बताया गया है। जिसमें चित्रा नक्षत्र एवं वैधृति योग का पूर्वाद्र्ध दो चरण त्याग कर घट स्थापना की अनु
 यह पोस्ट कृपया अवश्य पढ़ें। : एक पंडितजी को नदी में तर्पण करते देख एक फकीर अपनी बाल्टी से पानी  जाप करने लगे , " मेरी प्यासी गाय को पानी मिले।" पंडितजी के पुछने पर बोले जब आपके चढाये जल भोग आपके पुरखों को मिल जाते हैं तो मेरी गाय को भी मिल जाएगा। पंडितजी बहुत लज्जित हुए।" कहानी सुनाकर इंजीनियर साहब जोर से ठठाकर हँसने लगे। बोले - " सब पाखण्ड है शर्मा जी। " न मैं बहुत पुजा पाठ करने वाला हूँ न हिं इंजीनियर साहब कोई विधर्मी ; पर शायद मैं कुछ ज्यादा हिं सहिष्णु हूँ इसलिए लोग मुझसे ऐसे कुतर्क करने से पहले ज्यादा सोचते नहीं। खैर मैने कुछ कहा नहीं बस सामने मेज पर से 'कैलकुलेटर' उठाकर एक नंबर डायल किया और कान से लगा लिया। बात न हो सकी तो इंजीनियर साहब से शिकायत की। वो भड़क गए । बोले- " ये क्या मज़ाक है?? 'कैलकुलेटर ' में मोबाइल का फंक्शन कैसे काम करेगा। " तब मैंने कहा , ठीक वैसे हिं स्थूल शरीर छोड़ चुके लोगों के लिए बनी व्यवस्था जीवित प्राणियों पर कैसे काम करेगी। साहब झेंप मिटाते हुए कहने लगे- " ये सब पाखण्ड है , अगर सच है तो सिद