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आज का पंचांग

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🌹🌹 *जय श्री राधेकृष्णा जी*🌹🌹                            आज का पंचांग                     दिनांक :01मई  2018              *www.astrokrishnakavitak.com* ☆☆☆☆☆📱 *8574074069*★★★★ *मास*   :  ज्येष्ठ *दिन*    : मंगलवार *पक्ष*    :  कृष्ण पक्ष। *तिथि*  :   प्रतिपदा 06:50 द्वितीया *नक्षत्र /स्वामी*: *विशाखा* गुरु 15:57 *चंद्र राशि:*  तुला 9:36 वृश्चिक *करण:* कौलव/तैतिल *सुर्य उदय*  :05:31 प्रातः *चंद्र उदय* 19:56 *ग्रह गोचर* : *सूर्य*मेष *चन्द्र* तुला *मंगल* धनु *बुध* मीन *गुरु* (वक्री) तुला *शुक्र* वृषभ *शनि*( वक्री वृश्चिक)धनु। *राहु* कर्क *केतु* मकर राशि ---------- *राहु काल*: दुपहर 03:30से05:00 तक अशुभ *अभिजीत महूर्त* :11:39-12:32तक *चौघड़िया*                  🔅चल  08:48:41 -   10:27:19 🔅लाभ  10:27:19 -   12:05:57 🔅अमृत  12:05:57 -   13:44:34 🔅शुभ  15:23:12 -   17:01:50 🔅लाभ  20:01:44 -   21:23:00 🔅शुभ  22:44:17 -   24:05:33  --------------------------------------------------------  *योग*:व्यतिपात  *दिशा शूल*: उत्तर दिशा।  *उपाय* गुड़ खा के निकले।  *व

क्या मोबाइल का नंबर बदल कर चमका सकते हैं किस्मत के तारे...

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यह सच है कि मोबाइल नंबर भी हमारी किस्मत को प्रभावित करता है। जिस प्रकार ग्रह-नक्षत्रों का प्रभाव हमारे ऊपर होता है ठीक उसी प्रकार अंक भी हमारे व्यक्तित्व और भाग्य को प्रभावित करते हैं। अंकशास्त्र के अनुसार अगर मोबाइल नंबर में सबसे अधिक बार अंक 8 का होना शुभ नहीं होता है। इससे आपको बार-बार आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है। खर्च में वृद्धि होती है। अंक 9 बहुत ही शुभ माना जाता है। यह अंक मोबाइल नंबर में सबसे अधिक बार होना भाग्य को बलवान बनाता है। यह धनवृद्धि में मददगार होने के साथ ही आपके परोपकारी और ज्ञान होने का सूचक माना जाता है। छात्र, लेखक, दार्शनिक एवं रचनात्मक व्यक्तियों के लिए यह अंक विशेष लाभप्रद होता है। लेकिन यह जरूरी नहीं कि आप सिर्फ 9 नंबर को लकी मानकर इसके पीछे दौड़ने लगें। यह भी ध्यान रखें कि आप किस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, जैसे अगर आप गायक, संगीतकार, चित्रकार अथवा किसी अन्य कला से जुड़े हुए हैं तो अंक 3 और 4 की अधिकता वाला मोबाइल नंबर चुन सकते हैं। खेल जगत, पुलिस एवं सेना से जुड़े हुए व्यक्तियों के लिए 6, 7 एवं 2 अंक शुभ होता है। राजनीति तथा शिक

किस दिशा में प्राप्त होगी सफलता, जानिए अपनी कुंडली से...

अक्सर अपनी जन्म पत्रिका का परीक्षण करवाते समय लोगों का प्रश्न होता है कि किस दिशा में उन्हें सफलता प्राप्त होगी या किस दिशा में उनका विवाह होगा इत्यादि।   सामान्यत: कहें तो वे यह जानना चाहते हैं कि कौन सी दिशा उनके लिए अनुकूल रहेगी? दिशाओं की संख्या 10 होती है।  ज्योतिष  शास्त्र में दिशा की अनुकूलता उस  दिशा के अधिपति ग्रह  की जन्म पत्रिका में स्थिति से ज्ञात होती है।   जन्म पत्रिका में जो ग्रह सर्वाधिक शुभ व बलवान स्थिति में होता है, उस ग्रह की दिशा में जातक को सफलता प्राप्त होती है। जन्म पत्रिका के शुभ एवं बलवान ग्रहों की दिशाएं जातक के लिए अनुकूल होती हैं। इसके अतिरिक्त भावेश की भावास्थिति एवं भाव में स्थित राशि से भी दिशा की अनुकूलता व प्रतिकूलता का निर्णय किया जाता है।   उदाहरणार्थ यदि विवाह किस दिशा में होगा, यह जानना है तो सप्तमेश एवं सप्तम भाव में स्थित ग्रहों में से जो ग्रह सर्वाधिक बलवान व शुभ स्थिति में होगा, उस ग्रह की अधिष्ठित दिशा में विवाह होने की संभावना प्रबल होगी।   यदि प्रश्न आजीविका किस दिशा में प्राप्त होगी, इससे संबंधित है तो दशमेश व दशम भाव के अधि

सत्य नारायण व्रत कथा

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सत्यनारायण भगवान की कथा लोक में प्रचलित है। हिंदू धर्मावलंबियो के बीच सबसे प्रतिष्ठित व्रत कथा के रूप में  भगवान विष्णु  के सत्य स्वरूप की सत्यनारायण व्रत कथा है। कुछ लोग मनौती पूरी होने पर, कुछ अन्य नियमित रूप से इस कथा का आयोजन करते हैं। सत्यनारायण व्रतकथाके दो भाग हैं, व्रत-पूजा एवं कथा। सत्यनारायण व्रतकथा  स्कंदपुराण  के रेवाखंड से संकलित की गई है। सत्य  को नारायण ( विष्णु  के रूप में पूजना ही सत्यनारायण की पूजा है। इसका दूसरा अर्थ यह है कि संसार में एकमात्र नारायण ही सत्य हैं, बाकी सब माया है। भगवान की पूजा कई रूपों में की जाती है, उनमें से उनका सत्यनारायण स्वरूप इस कथा में बताया गया है। इसके मूल पाठ में पाठांतर से लगभग 170 श्लोक  संस्कृत भाषा  में उपलब्ध है जो पांच अध्यायों में बंटे हुए हैं। इस कथा के दो प्रमुख विषय हैं- जिनमें एक है  संकल्प  को भूलना और दूसरा है  प्रसाद  का अपमान। व्रत कथा के अलग-अलग अध्यायों में छोटी कहानियों के माध्यम से बताया गया है कि सत्य का पालन न करने पर किस तरह की परेशानियां आती है। इसलिए जीवन में सत्य व्रत का पालन पूरी निष्ठा और सुदृढ़ता के सा